Thursday 27 October 2011

वोह यादें


वोह यादें 



वोह पहली मुलाक़ात ,
बैठे थे हम पास पास,
न जाने क्या था मन में ,
एक अजीब सा एहसास |

उन दिनों की मुलाकात ,
वह बातें और हँसी मजाक,
थामा एक दिन उनका हाथ,
लगा जैसे साथ जन्मो का हे साथ |


वोह पल थे कितनी हसीं ,
समेट लिया उस वक़्त पल्को में युही ,
क्यूंकि पल पल की ख़ुशी,
क्या पता कब मुद जाये किस घडी|

वह यादें चोदे न हर दम,
जुड़े हे दिल से , कैसे भूल जाये ये हम,
मिलते थे न हमारे खयालात,
फिर भी दिल से जुड़े थे , सच्ची बात! |

झगड्थे थे हम इतना,
फिर मनाते थे वह हमको कितना,
गुस्से में दूर जाने को कहते थे हम,
पल आज उनकी  एक झलक के लिए तरस थे हे हम!|



                                                  लिखनेवाली :- आद्रिका राइ.                                                                  

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