Wednesday 26 October 2011

एक सलाह


एक सलाह 


खुशियों के पल हे चार ,
मिलता हे एक बार |
जीले ऍ खुशनसीब,
दुबारा न मिलेगा , करना पड़ेगा इंतजार !

उपरवाला का कर शुक्रगुज़ार ,
करले उस पर ऐतबार |
क्यूंकि रहता वही हे हमेशा साथ ,
तक जीने की अंतिम सास|

बात तू मेरी सुन ,
कभी न सपने देखो तुम|
झूठे हे सारे वह,
पल की खुशिया लाते हे वोह |

टूट जायेंगे अब,
मिटटी के पुतले  हे सब
मेरी मानो तुम
किस्मत पर भरोसा करना न तुम

झूटी सलाह देती नहीं
टूट गयी हूँ शायद हमेशा सही
ज़िन्दगी जीते  हे हम सिर्फ दूसरों के लिए
हमारी जीवन की कोई मतलब ही नहीं!


                                                        लिखनेवाली :- आद्रिका. राइ  

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