Saturday 22 October 2011

तन्हाई



तन्हाई 



घने  बादलो  से  गिरा ,
तेज़  तूफ़ान  और  बिजली  से  भरा |
ऐसी  ही  कुछ  मेरी  ज़िन्दगी ,
काटो  से  भरा |


भरी  भरी  ये  आखें ,
झुकी  झुकी  सी  नज़रे |
सूनी  सूनी  सी  राहे ,
तनहा  ज़िन्दगी  हे  मेरा |


न  साथी  न  आसरा ,
बस  में  और  मेरी  सपनो  की  दुनिया |
अब  जीने  का  क्या  मतलब ,
जब  जीना  हे  आपके  बिना  |


हसीं  मुस्कान  के  पीछे ,
मुख्वाड़े  का  तो  हे  काम |
महफ़िल  के  पीछे ,
बस  तन्हाई  ही  हे  मेरे  यार |




ये  झूटी  मुस्कान ,
जो  छुपाये  हर  गम  मेरे  यार |
न  सह  पयींगे  आगे ,
यह  तन्हाई  भरी  ज़िन्दगी  भगवन |


                                                                   



                                                     लिकनेवाली  : - आद्रिका राइ

1 comment:

  1. Nice post.. It feels great to see updates even during the examination.

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