Thursday 6 October 2011

क्या प्यार यही है ?!!!

 क्या प्यार यही है ?!!!

       हर दिन की तरह उस दिन भी वो बस से जा रहा था | तभी उसने एक लड़की की झलक पायी | कुछ जाना पहेचाना सा चेहरा... दिल में कुछ अजीब सी कशिश... अजीब सा डर. शायद प्यार हुआ था उसे | फिर एक दिन अचानक से फिर मुलाकात हुई, बात करना चाहा पर फिर से वोही डर | दिन बीते और बीती रातें सोचते की क्या होगी वो मेरी साथ ? उस दिन बारिश हो रही थी जब उसने हिम्मत जताई और की उससे बात | फिर दोस्त बन गए दोनों ... लड़का मन ही मन उससे चाहने लगा पर कभी उसे बता न पाया ... Angel बुलाता था उसे जो दिखने में परी की तरह थी | वो आँखें ... वो होंट ...बात करने की अंदाज़ ... सबसे अलग... सबसे जुदा... बिलकुल परी जैसी | दिन बीत गए और वो हर दिन मिलने लगे | वो जब लड़के को चूथि थी तब वो कांपता था ,अपने परी की आँखों में देखने से डरता था ..

       एक दिन हिम्मत जताई और किया अपने प्यार का इज़हार | लड़की ने बदले  में न कहा| उस लड़के का दिल टूट गया | ऐसा लगा जैसे पहाड़ उस पर टूट पड़ा | फिर भी उसने हिम्मत न हारी और उससे प्यार करता गया... करता गया | लड़की को भी उससे प्यार था पर वो ज़माने से डरती  थी  | महीनें बीत गए , फिर एक दिन वो आया जब उसकी Angel ने उससे अपना कहा | लड़का कुशी के मारे पागल हो गया और  नाचने  लगा, झुमने  लगा| ये था  उन  दोनों  का  पहेला  प्यार ...|

      वो दोनों बोहुत खुश थे पर तकदीर बदल गयी... लड़के को पता चला की वो बीमार है और सिर्फ कुछ ही दिनों का मेहमान है ...उस दिन से उसने अपनी Angel को अपने से दूर करना चाहा और कुछ हद्द तक कामियाब भी हुवा | और उसके आँखों कि सामने उसकी परि को किसी और का होता देखा | वो हँसता था, रोता था , पागलों  जैसा करता था... फिर एक दिन खबर आयी कि लड़का अब न रहा ...| मरते वक्त वो अपने साथ  कुछ यादों को ले चला जैसे वो पहेला स्पर्श .... 


         क्या प्यार यही है जो एक दुसरे के ख़ुशी के लिए अपना सब कुछ त्याग  दे ..  यहाँ तक अपना प्यार भी ?!?!

                         लिखनेवाला :- के . गिरिधर पै                                                           

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