जीवन और पल
हर पल जिंदगी ,
युही चलती है |
पर बीच बीच में ,
क्यों ये धल्थी है |
क्यों मुझे सताथी है ,
मेरी बीती हुई पल |
उस पल की हर यादें ,
क्यों भर्ती है मेरी आँखें |
अपनों के साथ ,
पर अनजान जगह पे ,
भीड़ भी लगे सुमसान |
हर पल कुछ खास है ,
इसका एहसास एक राज है |
कुछ लोगों को होता आज है ,
तो कुछ औरों को होता कल है |
जिंदगी ने दिलाई है ,
चाहत का ये एहसास |
जब तक साथ थे हम ,
पेहचान न सके वो मिठास |
बोहोत छोटीसी ही तो है,
हमारी ये जिंदगी |
इसे खुल के जीने में ही है ,
हमारी अखलमन्दगी |
लिखनेवाली :- रंजीता हेगड़े. आर
First Hindi Poem..
ReplyDeleteGreat to see it..
Keep posting Ranjitha
:) sure:)
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