Tuesday 4 October 2011

जीवन और पल

जीवन और पल 

हर पल जिंदगी ,
युही चलती है |
पर बीच बीच में ,
क्यों ये धल्थी है |


क्यों मुझे सताथी  है ,
मेरी बीती हुई पल |
उस पल की हर यादें  ,
क्यों भर्ती है मेरी आँखें  |

अपनों के साथ ,
एक भी लगे भीड़ |
पर अनजान जगह पे ,
भीड़ भी लगे सुमसान |

हर पल कुछ खास है ,
इसका एहसास एक राज है |
कुछ लोगों को होता आज है ,
तो कुछ औरों को होता कल है |



जिंदगी ने दिलाई है ,
चाहत का ये एहसास  |
जब तक साथ थे हम ,
पेहचान न सके वो मिठास |



बोहोत छोटीसी ही तो है,
हमारी ये जिंदगी |
इसे खुल के जीने में ही है ,
हमारी अखलमन्दगी  |

                                           लिखनेवाली  :- रंजीता  हेगड़े. आर 

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