मन्न...
न चाहते हुए भी प्यार हो गया
दिल कोई ले गया
प्यार के किस्सों में हमारा नाम जुड़ गया
एक पल रूठना
तो एक पल मनाना
एक पल रोना
तो दुसरे पल हसाना
क्या ख़ुशी
क्या घम
उसके साथ है
तो लगे जन्नत में है हम
वोह लम्हे बीत गए
ख्वाब सारे टूट गए
दिल किश्तों में बिख गए
अब खाली पन्ने रह गए
ए साथिया
तू यह तो बता
क्यूँ ए सज़ा
दे रहा ए खुदा
क्यूँ ज़िन्दगी ने यह मोड़ लिया
क्यूँ हमें इस तरह तनहा छोड़ दिया
क्या यही हमारे माथे पर लिखा
क्या ए मिलन हो पायेगा या न ?
द्वारा लिखित :- आद्रिका राइ
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