एह साथिया तू है कहाँ
सूना सूना है येह लम्हा
तनहा बैठे हम है यहाँ
ढूँढती येह अखियाँ
येह साथिया तू है कहाँ
सहमी सहमी सी मैं
रुका रुका सा पल
रूठा सा जहाँ
तेरे बिना ...
भीड़ में हूँ अकेली मैं
सारी नज़रे टिकी मुझपे
कहाँ हो तुम
ज़रुरत है मुझे तेरी सुन
लौटके तुम वापस आना
बाहों में तुम समेट जाना
इंतज़ार है तेरा
येह साथिया तू है कहाँ ...
तनहा बैठे हम है यहाँ
ढूँढती येह अखियाँ
येह साथिया तू है कहाँ
सहमी सहमी सी मैं
रुका रुका सा पल
रूठा सा जहाँ
तेरे बिना ...
भीड़ में हूँ अकेली मैं
सारी नज़रे टिकी मुझपे
कहाँ हो तुम
ज़रुरत है मुझे तेरी सुन
लौटके तुम वापस आना
बाहों में तुम समेट जाना
इंतज़ार है तेरा
येह साथिया तू है कहाँ ...
द्वारा लिखित :- आद्रिका राइ
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