आज...
क्यूँ नमी है इन आँखों में
क्या यही लिखा है हाथों में
डूबी ख्यालों में
की क्यूँ करवटे आती है ज़िन्दगी में
क्या यही लिखा है हाथों में
डूबी ख्यालों में
की क्यूँ करवटे आती है ज़िन्दगी में
दूर दूर तक कोई छाव नहीं
सुनसान इन राहों में
अकेली हूँ इस वक़्त, बढती हुई
इस तब्ती रौशनी में
सुनसान इन राहों में
अकेली हूँ इस वक़्त, बढती हुई
इस तब्ती रौशनी में
क्या फायदा होने से यह उजाला
जो हो कर भी ज़िन्दगी लगे अँधेरा
जैसे बादलों से गिरा
कुछ पल बारिश तो कुछ पल गर्मी भरा
जो हो कर भी ज़िन्दगी लगे अँधेरा
जैसे बादलों से गिरा
कुछ पल बारिश तो कुछ पल गर्मी भरा
ख़ुशी से भरा भरा
था मेरा आशियाना
यादों से जुडा
प्यार से बुना
था मेरा आशियाना
यादों से जुडा
प्यार से बुना
एक बड़ा सा तूफ़ान
उजड़े रिश्ते, बिगड़े हालात
बिखर गया ...
बदल गया सारा कायनात
उजड़े रिश्ते, बिगड़े हालात
बिखर गया ...
बदल गया सारा कायनात
आज चल रही हूँ एक नयी उम्मीद की आस लेके
नयी ख्वाब लेके ...
बस फर्क इतना की, तब शामिल थे सब
पर सिर्फ मैं ही मैं हूँ अब ...
द्वारा लिखित :- आद्रिका राइ
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