तुझ को भुला दिया ...
वोह कसमें याद नहीं
वोह लम्हे छूट गयी
यह किस्सा प्यार का
खुद को भी मैं भूल गयी ।
थोड दिया यह भंदन
पी गयी सारी घम
जुदा हुए जब तुम
जुदा हुए जब तुम
रुक गया यह धड़कन ।
मेरा मन्न अब मेरा न रहा
इस शोर में भी सन्नाटा छाह गया
होटों पे है मुस्कान
पर आँखें भरा भरा ।
पल दो पल के मुलाकात
दिल में दफ़न लिया
वोह मीठा मीठा सपना
पलकों में चुप गया ।
प्यार भरे वोह दिन
ऐसे बीत गए
दिल के शीशे में वोह बसा
गिर के टूट गया ।
कोशिश की समेट ने की
पर शायद देर हुआ
हार गयी मैं आखिर में
सब कुछ खो दिया
न मंजिल है मेरा
न है किनारा
बस तुम थे मेरे
और खुदा का सहारा ।
बचा न कोई रास्ता
जब सब कुछ डूब गया
आखिर में तुझ को भुला दिया
हाँ तुझ को भुला दिया ।
द्वारा लिखित :- आद्रिका राइ
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