अधूरी सी ज़िन्दगी
किसी की याद से कभी मुस्कुराहट , तोह कभी आंसू
कभी अँधेरा तोह कभी रोशनी
क्यूँ हो तुम इतने ख़ास
तुम्हारी हर बात लगती है ख़ास ...
मेरी हंसी से है किसी को नफरत,
तोह किसी को है ख़ुशी
हंसू भी तोह खुल के न हंस पाऊं
हंसू भी तोह किसी के इजाज़त से हंसू ...
है कैसी येह ज़िन्दगी ?
ज़िन्दगी डर के,
ज़िन्दगी घम के,
ज़िन्दगी किसी के यादों के ...
है कोई मेरी तमन्ना ?
है कोई मेरी आरज़ु ?
कैसी येह अधूरी सी ज़िन्दगी ?
क्यूँ इस मासूम सी ज़िन्दगी को जीने न दूँ ?
द्वारा लिखित : मिस्बाह
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